दरअसल, मामले में महिला एवं बाल कल्याण विभाग और जिला प्रशासन की लापरवाही सामने आई है. सवाल यह उठ रहे हैं कि 23 जून 2017 को मान्यता खत्म होने के बाद 30 जुलाई 2018 को एफआईआर क्यों कराई गई?
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